टीचर्स की पावर पार्ट 2 | Story of the Education system
हमने पार्ट वन में देखा था की विद्या मैं जी ने प्रिंसिपल ने टर्मिनेट कर दिया था वह अस्पताल में थी उनको अस्पताल में ज्योति मैम ने एडमिट कराया था ज्योति मैम ने विद्या मैं का साथ कभी नहीं छोड़ा और उन्होंने वह अपनी सगी दीदी से भी बढ़कर मानते थे उनकी इस कंडीशन को देखकर उन्हें बहुत ही दुख हुआ और उन्होंने ठंडी कि मैं उसका उसे प्रिंसिपल को सबक जरूर सिखाऊंगी और विद्या में हम कौन-कौन सा दिलाऊंगी प्रिंसिपल की हिम्मत कैसे हुई दीदी को दीदी को इनकैपेबल कहने की जबकि वह सबसे अच्छा पढ़ाते हैं उनके जैसा कोई पूरे स्कूल में टीचर नहीं था
एक स्कूल और था राजा राम हाई स्कूल जो की सिटी का नंबर वन स्कूल था उसकी प्रिंसिपल राजीव कुमार देवपुर स्कूल को बहुत अच्छे से चलाते थे एजुकेशन को एजुकेशन के तरीके से ही चल रहे थे लेकिन लेकिन अमरनाथ स्कूल का जो डायरेक्ट था वह स्कूल को बिजनेस की तरह चलाना चाहता था बट एजुकेशन और बिजनेस में बहुत बड़ा अंतर होता है इस अंतर को जिसने समझ लिया वह बहुत ही विद्वान आदमी कहलाता है एजुकेशन को एजुकेशन की तरीके से देना चाहिए ना कि आप उसे बिजनेस बना दो बिजनेस जिस दिन आपने एजुकेशन को बनाया समझ लीजिए आप एजुकेशन के फील्ड में बेकार हो गए फेल हो गए हैं
टीचर्स की पावर पार्ट 2 | Story of the Education system |
ज्योति ने मीडिया का सहारा लेकर दीदी को इंसाफ दिलाने की ढाणी और उसने न्यूज़ चैनल पर अपना एक इंटरव्यू शेड्यूल करवाया उन्होंने इंटरव्यू दिया न्यूज़ चैनल पर और कहा आज के टाइम में टीचर्स को मिलता है क्या ना कोई रिस्पेक्ट देता है ना कोई ग्रीटिंग आज के समय में एजुकेशन को बहुत ही बेकार बना दिया है हम टीचर्स जब भी कहते हैं कि गुरुओं का स्थान सबसे ऊपर होता है गुरु ही हमें उसे लायक बनाता है कि हम कुछ कर सके गुरु ही हमें सारी शिक्षा देता है स्टूडेंट गुरु के माध्यम से ही हर एक फील्ड में उन्नति करते हैं लेकिन आज के टाइम में गुरु को कुछ समझ ही नहीं जाता जब चाहत हम निकाल दिया कहते हैं कि द्रोणाचार्य ने अर्जुन को बहुत अच्छी से अच्छा दी थी और उनके कठिन समय में भी अर्जुन ने द्रोणाचार्य का साथ दिया द्रोणाचार्य अर्जुन के बहुत अच्छे गुरु थे उन्होंने उसे सब कुछ सिखाया बहुत अच्छे से शिक्षा दी थी अर्जुन भी अपनी शिष्या होने का उन्होंने पूरा तक पूरा कर्तव्य निभाया था उसे टाइम टीचरों को बहुत ही रिस्पेक्ट मिलती थी लेकिन आज के समय में ऐसा नहीं है एजुकेशन सिस्टम पूरा खराब हो गया आज जब आपका गुरु आपकी टीचर यहां अस्पताल में भारती हैं और उन्हें आपकी जरूरत है तब आप कहां हैं जब द्रोणाचार्य को अर्जुन की जरूरत है तब कहां है विद्या मैं की स्टूडेंट अब कहां है उनका कोई हल तक पूछने नहीं आया क्या विद्या मैं ने 28 साल इसी के लिए उन्हें शिक्षा दी थी ऐसा तो नहीं था उन्होंने पूरे मन से बच्चों को पटाया उसे काबिल बनाया कि कुछ करके दिखा सके की इंटरव्यू मीडिया पर बहुत ही अच्छा साबित हुआ और यह न्यूज़ हर जगह फैल गई थी स्टूडेंट अपने पुराने टीचरों को याद कर रहे थे और उनको ग्रीटिंग दे रहे थे गुड मॉर्निंग गुड आफ्टरनून का मैसेज सेंड कर रहे थे सभी बच्चों के मन मेंटीचरों के व्रत रिस्पेक्ट आ गई थी और यह अच्छी बात है विद्या मैं के सारे स्टूडेंट जो बहुत पहले से जब से वह पढ़ रहे थे सबने उन्हें ग्रीटिंग होने वीडियो बना बनाकर मीडिया को भेजो उनके पढ़ाई में स्टूडेंट सभी फील्ड में थे कोई इंजीनियर था कोई डॉक्टर था कोई इस रूम में काम कर रहा था सभी ने उनको कहा मैं मैं आप जल्दी सही हो जाओगे आप टेंशन मत लीजिए
स्कूल की प्रिंसिपल को कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था उसे अपनी गलती अभी भी समझ नहीं आ रही थी यह न्यूज़ स्टूडेंट धरना देने पर उतर आए थे चारों तरफ इसी खबर को फैलाया जा रहा था सभी में पूरी सिटी में यह खबर फैल चुकी थी स्टूडेंट धरना दे रहे थे सरकार वैसे परेशान हो गई थी इतना सब चल रहा था
न्यूज़ में सब उन्हीं की बातें कर रहे थे सब डिस्कशन विद्या मैं और ज्योति में पर ही हो रहा था फिर सरकार ने ज्योति विद्या मैं से बात की और स्कूल की प्रिंसिपल डायरेक्टर से बात की और उनका एक इंटरव्यू शेड्यूल करवाया और यह दिखाने के लिए कि उन्होंने उन पर जो दाग लगाया है इन कैपेबल टीचर्स का के ओल्ड मैटर से बताते हैं यह क्या कि यह साबित करने के लिए उन्होंने कहा आप क्वेश्चन पेपर सेट करिए अगर आपको यह लगता है कि पढ़ा नहीं सकते अच्छे से उन्हें पढ़ना नहीं आता
उनके पेपर वाला क्वेश्चन सेट करिए वह उसे क्वेश्चन का आंसर देंगे अगर वह काबिल है तो आपके क्वेश्चन का आंसर दे पाएंगे लेकिन हर एक क्वेश्चन का आपको प्राइस मनी देना होगा अपने टीचर्स की काबिलियत भाषा किया तूने उसका इनाम तो मिलना ही चाहिए उनका इंटरव्यू शेड्यूल हुआ उनसे बहुत सारे क्वेश्चन किए गए टोटल 10 क्वेश्चन थे सभी का आंसरविद्या मैं और ज्योति मैम ने आसानी से दिया क्योंकि इंटरव्यू शेड्यूल होने से पहले कुछ टाइम मिला था कहां गया था कि क्वेश्चन किसी भी टॉपिक से हो सकता है तो आप प्रिपेयर करके आई और अपनी टीचिंग स्टाइल को और आपके अपने टीचर सोने का सबूत दीजिए और यह प्रूफ करिए कि आप विकास सच्चे टीचर से सभी क्वेश्चनों के आंसर अच्छे से दीजिए
उन्होंने हां थोड़ी तकलीफ हुई बट उन्होंने 10 के 10 सारे क्वेश्चन का आंसर दे दिया और वह 500 करोड रुपए जीत गई थी और उन्होंने यह भी साथ रखी थी कि प्रिंसिपल को हमें सॉरी बोलना पड़ेगा उनकी जीत जाने के बाद प्रिंसिपल की चेहरे की हाव-भाव उड़ गए थे उनका चेहरा देखने लायक था लग रहा था उनकी इस बेहूदा हरकत का होने बहुत बड़ा खामियाजाम होगा इतना बड़ा सभी के सामने मीडिया में होने से सॉरी बोलना पड़ा उसके बाद उनकी अकल ठिकाने पर आ गई और उन्हें स्कूल से बाहर निकाल दिया गया और
एक नई प्रिंसिपल नए प्रिंसिपल को ज्वाइन कराया गया इस तरीके से हम अपने टीचर्स को हमें यहां हमेशा याद रखना चाहिए उन्हें कभी बोलना नहीं चाहिए जिसने आपको यहां तक पहुंचा काबिल बनाया आप उसको भूल जाएंगे तो कैसे चलेगा टीचर्स वह इंसान होते हैं जो हमें शिक्षा देते हैं हमें सही और गलत सभी चीजों का ज्ञान करते हैं अगर वह नहीं होते तो शायद दुनिया पता पता नहीं कहां होती ।
Conclusion:
उन्हें जो प्राइस मनी मिला था उसे उन्होंने एक ऐसा स्कूल खोलने का सोचा जहां पर गरीब बच्चा आसानी से भर सके उन्हें कोई दिक्कत ना हो जरूरतमंद को शिक्षा मिलनी चाहिए यह सोचकर उन्होंने एक स्कूल खोलने का प्लान बनाया और उसमें उसे टीचर को रखा जो उसे स्कूल की सबसे पुरानी टीचर हुआ करती थी बहुत अच्छी थी उन्होंने उसे प्रिंसिपल बनाया और उन्होंने स्कूल को बहुत अच्छे से संभाला जिसे जरूरत थी शिक्षा की उसे शिक्षा का भरपूर आनंद दिलाया और उनके पढ़ाई में आज सोच हर दुनिया में हर कोने में मिल जाएंगे।