तीन साधुओं की रोमांचक कहानी इस कहानी को आपको जरूर पढ़ना चाहिए
एक छोटा सा गांव था जो झील के किनारे बसा हुआ था गांव के सभी लोग पादरी के पास चर्च में आया करते थे अपनी परेशानियों को लेकर और उनसे समाधान के लिए प्रार्थना करते थे। लेकिन कुछ टाइम बाद ऐसा हुआ कि उनके पास लोग आना कम होते गए और पादरी को पता चला कि तीन साधुओं के पास लोग जाने लगे हैं धीरे-धीरे पादरी के पास लोग काम होते गए और साधुओं के पास लोग जाने लगे तो पादरी को गुस्सा आने लगा कि मेरी बिना इजाजत के कोई साधु कैसे बन सकता है साधु बनने के लिए पादरी की अनुमति जरूरी होती है इसलिए पादरी ने सोचा कि ऐसा आनंद कोई कैसे कर सकता है मेरी इजाजत के बिना कोई साधु कैसे बन सकता है
तीन साधुओं की रोमांचक कहानी इस कहानी को आपको जरूर पढ़ना चाहिए |
एक दिन तो बहुत बड़ा ही अनर्थ हो गया पार्टी पूरे दिन वेट करते रहे बट उनके पास एक भी गांव का कोई सिंगल बंदा नहीं आया तो पादरी को गुस्सा आ गया और उन्होंने सोचा कि आज तुम्हें इन तीन साधन को सबक सिखा कर ही रहूंगा इन लोगों ने मेरे नाक में दम करके रखा है पादरी को गुस्सा आ गया था पादरी अपनी वेशभूषा में तैयार होकर सर पर सोने का मुकुट लगाकर और हाथ में सोने की छड़ी लेकर पादरी की वेशभूषा में चलने लगा उन तीनों से मिलने के लिए वह तीनों साधु एक झील के किनारे रहते थे पादरी झील को नव की सहायता से पार करके उनके पास पहुंचा
पादरी का साधुओं से मिलना :
वह तीनों साधु भगवान से प्रार्थना कर रहे थे और आसन लगाए हुए बैठे हुए थे पादरी उनके पास पहुंचा और कहा क्या वह तुम ही तीन साधु हैं जिनके पास सारे गांव वाले आते हैं उन तीनों ने कहा हमारी कहां है इतनी औकात के हम साधु बन सके हम तो एक सदर से इंसान हैं फिर सभी लोग तुम्हारे पास क्यों आते हैं तो उन साधुओं ने उत्तर दिया कि हम भी इस बात से परेशान हो गए हैं हम जितना लोगों को मना करते हैं उतनी ही भीड़ बढ़ती जा रही है आप ही कोई उपाय बताइए हम भी इस भीड़ से छुटकारा पाने जाते पाना चाहते हैं पादरी कुछ हुआ और बोला कि यह तो बहुत ही नादान है इन्हें तुम्हें आसानी से भाग सकता हूं आसानी से धूल चटा सकता हूं आज इनको सबक सिखा के ही रहूंगा पादरी ने कहा अच्छा आप यह बताओ आप यहां पर करते क्या हो तो तीनों साधुओं ने उत्तर दिया कि हम भगवान की प्रार्थना करते हैं और भगवान से ध्यान लगाते हैं पादरी ने कहा आपका नोबल कहां है तो तीनों साधुओं ने अपना सर झुका लिया तो पादरी ने पूछा तुम तीनों ने अपना शहर क्यों झुका लिया तो उन तीनों साधुओं ने उत्तर दिया कि महाराज हमारी कहां इतनी औकात की हम नोबेल पढ़ सके हम पढ़े-लिखे नहीं हैं हमें माफ करें
पादरी ने कहा तुम लोग पहले ही साधु बनकर हमारा अपमान कर चुके हो तुमने बहुत अपमान कर लिया अब आपको पढ़ना भी नहीं आता तो पादरी मन ही मन बहुत खुश हुआ और बोला इन्हें तुम्हें आसानी से भाग सकता हूं और इन लोगों से आसानी से छुटकारा पा सकता हूं पादरी बोला फिर आप लोग प्रार्थना कैसे करते हो तो तीनों साधुओं ने उत्तर दिया हम पढ़े-लिखे नहीं है और हमें पढ़ना आता भी नहीं है तो पादरी ने कहा आप लोगों को चर्च की प्रार्थना तो याद होगी आप चर्च में आते हो तो आपको प्रार्थना भी याद होगी तो उन तीनों ने कहा नहीं हम में चर्च की प्रार्थना कभी याद ही नहीं हुई और भला फिर गलत तो प्रार्थना पढ़ने से क्या फायदा इसलिए हमने उसे गलत बोलने की इच्छा भी नहीं की इसलिए हमने क्या किया है कि एक अपनी प्रार्थना बना लिए बहुत सोच समझकर और ज्ञान गणित का उसे करके हमने उसे प्रार्थना को बनाया है
क्योंकि हमें पढ़ना भी नहीं आता है और बहुत सारी बड़ी-बड़ी प्रार्थना है उन्हें हम याद भी नहीं कर सकते भूल जाते हैं उल्टा सीधा पढ़ने का कोई फायदा भी नहीं है तो पादरी ने कहा आप चर्च की प्रार्थनाओं को गलत बता रहे हैं जिन्हें खुद भगवान ने और प्राचीन काल से चले आ रहे प्रार्थना को बहुत सारी मान्यताएं मिली हुई है आप उन्हें गलत फहरा रहे हैं यीशु को भी भगवान ने खुद प्रार्थना सिखाई थी आप उसको गलत कह रहे हैं तो तीनों साधु ने कहा महाराज हमें माफ करिए बूट हमें कभी प्रार्थना याद ही नहीं हुई तो गलत नहीं पढ़ सकते ना उसका कोई फायदा भी नहीं होगा तो पादरी ने मन ही मन सोच और बहुत खुश हुआ इन लोगों को प्रार्थना भी याद नहीं है और वह लाइनें ने अपनी प्रार्थना बनाई है चलो एक बात सुनकर देखते हैं उनकी प्रार्थना है क्या तू पादरी ने तीनों साधुओं से कहा चलो आप अपनी प्रार्थना बताओ वीडियो ने कहा नहीं नहीं आप हमें माफ कर दीजिए आप हमें जो प्रार्थना सिखाएंगे हम सीख लेंगे आप वह समय माफ कर दीजिए तो पादरी ने कहा नहीं नहीं आप सुनाओ फिर हम उसके बाद आपको चर्च की प्रार्थना सिखाएंगे की कैसे करते हैं बहुत सारी विनती करने के बाद पादरी के कहने पर तीनों साधुओं ने अपनी प्रार्थना बताईउन्होंने कहा कि हमने बहुत ज्ञान और गणित का उपयोग करके यह प्रार्थना बनाया क्योंकि हम भी तीन हैं और ईसाइयों में तीन ही भगवान होते हैं तो हमने प्रार्थना इस प्रकार से बनाई है कि हम भी तीन तुम भी तीन कृपा करो हम यह प्रार्थना सुनकर पादरी जोर-जोर से हंसने लगा ।
और बोला आप लोगों ने यह प्रार्थना बनाई है तो बोला हमें माफ कर दीजिए साधुओं ने बोला हमें माफ कर दीजिए आप हमें अपनी प्रार्थना सिखा दीजिए तो तीनों साधुओं ने मिलकर कहा आप सिखाए ना प्लीज फिर से तीनों साधुओं ने कहा एक बार और फिर से तीनों साधु ने कहा एक बार और तीनों साधु फिर कहते हैं लास्ट टाइम और हमें अभी अच्छे से याद नहीं हो पाएगा तो पादरी ने फिर उन्हें प्रार्थना सिखाई और कहां टेंशन मत लो चल चाहते रहो आप लोगों की सारी समस्याएं दूर हो जाएंगे आपको प्रार्थना भी लर्न हो जाएगी टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है तो उन तीनों साधुओं ने कहा ठीक है हम टेंशन नहीं लेते आप हैं तो फिर दिक्कत किस बात की
इतना कहकर पादरी वहां से अपनी नाव में बैठकर जाने लगा तो पीछे से आवाज आती है और तीनों साथ में चिल्ला चिल्ला कर कहते हैं पादरी साहब रुको रुको रुको पार्टी सब रुको रुको और पादरी ने जैसे ही देखा कि वह लोग पानी पर ऐसे भागते हुए चले जा रहे हैं जैसे की जमीन पर भाग रहे हो पादरी के नीचे से जमीन के साथ गए और उसे बहुत आश्चर्य हुआ उसने मनी मन सोचा कि ऐसे तो केवल एससी कर सकते हैं चमत्कार और किसी में ऐसा चमत्कार नहीं है जो यह अद्भुत करके दिखा सके तीनों साधु पादरी के पास है बोले आप हमें एक हर बार प्रार्थना सिखा दीजिए हम भूल गए हैं यह कह रहा है यहां से स्टार्ट होती है इसमें कहा यहां से स्टार्ट होती है यह कह रहायहां से स्टार्ट होती है और यह बोल रहा है कि ऐसे स्टार्ट होती है तो हम तीनों में विवाद स्टार्ट हो गया है तो प्लीज आप एक बार और प्रार्थना बता दीजिए पादरी उनके चरणों में झुक गया और बोले आप तीनों की प्रार्थना सबसे अच्छी है क्योंकि उसे भगवान ने स्वीकार कर लिया गया है और पादरी वहां से चला गया नीचे नजर झुकाए हुए आराम से चला गया और तीनों साधु बोलते रहे एक बार और सिखा दीजिए पर उन्होंने कहा नहीं आपको कोई जरूरत नहीं है
यह कहानी लियो टॉलस्टॉय के द्वारा लिखी गई है उन्होंने बड़ी मेहनत से इसमें अपनी रुचि लगाई है और उन्होंने एक ऐसी कहानी लिखकर दे दी जो हमारे जीवन पर बहुत ही अधिक प्रभाव डालती है
Conclusion ( निष्कर्ष) :
इस कहानी से यह निष्कर्ष निकलता है कि हमें जरूरी नहीं है कि प्राचीन काल से चली आ रही प्रार्थना और उन्हें हजारों मान्यताएं मिली हुई प्रार्थना कोई हमें स्वीकार करना है उन्हीं से हम भगवान को बुला सकते हैं ऐसा कुछ भी नहीं है अगर आप मन से भगवान की प्रार्थना करते हैं चाहे आप कैसे भी करें उसे कोई फर्क नहीं पड़ता इसमें क्या होता है की आत्मा सिद्धि डायरेक्ट भगवान से कनेक्ट हो जाती हैं अगर आप मन से भगवान को याद कर रहे हैं तो आपकी प्रार्थना जरूर स्वीकार होगी अगर उसे आप सद्भावना से और पूरे मन से करते हैं तो तो इसलिए की जरूरी नहीं है कि जो पहले प्रोसीजर बनाया गया है उसे या फोलो करें आप अपने मन से प्रोसीजर बनाकर भी फॉलो कर सकते हैं ऐसा नहीं है कि कोई आपकी नहीं सुनेगा आपकी 100% सुनी जाएगी ।